वाली ऐ फ़क़ीह पर इतना बवाल क्यों??

गुज़िश्ता वक़्त में देखा गया है के उलेमा की तरफ से वाली ऐ फ़क़ीह पर बहोत बड़ा प्रोपोगंडा किया गया लेकिन हक़ बात किसी ने नहीं पहुचायी ! हकीकत बता देना बहोत ज़रूरी है ताके क़ौम में इन्तेशार और फ़िरक़ावारियात न हो और शरपसंद अफ़राद रुस्वा हो !!


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Ayatollah Sadiq al Shirazi with Ayatollah Waheed e Khorasani

वाली ऐ फ़क़ीह न सिर्फ एक शख्स है बल्कि हर वह इंसान है जो मुजतहिद ऐ जमे यश शरए है! यानि हर वह मरजा और मुजतहिद जिसकी तक़लीद होती है वह खुद वाली है और एक विलायत रखता है अपने मुक़ल्लिद के ऊपर !!
यानि एक बाप जिस तरह अपनी औलाद पे विलायत रखता है और हक़ रखता है ठीक उसी तरह एक वाली ऐ फ़क़ीह अपने मुक़ल्लिद के ऊपर विलायत और हक़ रखता है! विलायत के हुक़ूक़ अलबत्ता अलग अलग होते हैं!


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Ayatollah Sistani, Ayatollah Basheer Najafi, Ayatollah Isaakh Fayyadh, Ayatollah Hakim

अयातुल्ला सिस्तानी के फतवे के हिसाब से यह बात वाज़ेह कर देना ज़रूरी है के वाली ऐ वाक़ीह न सिर्फ एक शख्सियत तक महदूद है बल्कि तमाम मरजे अपने मुक़ल्लिद के लिए वाली ऐ फ़क़ीह का मनसब रखते है !
हाल ही में देखा गया के मौलाना सैफ अब्बास नक़वी ने अयातुल्ला ख़ामेनई को वाली ऐ फ़क़ीह मानने से मना करना दिया यानि उसकी दलील वही अयातुल्ला सिस्तानी का फतवा है जिस फतवे के तहत मौलाना सैफ अब्बास नक़वी ने अयातुल्ला ख़ामेनई को अपना वाली ऐ फ़क़ीह मानने से इंकार किया है !
इसका मतलब कुछ शर पसंद अफ़राद ने यह निकल लिया के मौलाना मौसूफ़ मरजईयत और तक़लीद के खिलाफ हैं! लेकिन उन लोगो को यह नहीं पता के मौलाना मौसूफ़ खुद वकील ऐ मरजईयत हैं और तक़लीद और इज्तेहाद के हामी है ! मौलाना सैफ अब्बास और उनके खानदान की खिदमात का तार्रुफ़ कराने की कोई ज़रूरत नहीं वह सब पर अयाँ है!


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Ayatollah Safi Gulpaigani with Ayatollah Sadiq Husaini Shirazi

मौलाना मौसूफ़ ने अगर अयातुल्ला ख़ामेनई को अपना वाली ऐ फ़क़ीह मानने से इंकार कर दिया तो इसका मतलब यह हरगिज़ नहीं होता के वह अखबारी है लेकिन यह बात को पूरी तरह से पलट के क़ौम के सामने लायी गयी ! यक़ीनासन शरीयत में हर मुजतहिद ऐ जमे यश शरए की तक़लीद की जा सकती है और वह किसकी तक़लीद में है उनके लिए उनका मोकललद ही वाली ऐ फ़क़ीह है !!
तो फिर इतना बड़ा प्रोपोगंडा क्यों?? कही ऐसा तो नहीं के मौलाना कल्बे जावद और मौलाना सैफ अब्बास की खानदानी इख्तेलाफ़ात का फायदा उठाने वालो ने मौलाना सैफ अब्बास के खिलाफ प्रोपोगंडा शुरू कर दिया है?
इस्लाम ऐ हक़ीक़ी की तौहीन करते हुए अयातुल्ला ख़ामेनई के सपोर्टर्स बाक़ी तमाम मरजे के खिलाफ बोल रहे है और बाक़ी लोगो को MI6 और अमरीका का एजेंट बता रहे है. यह न समझ लोग यह नहीं जानते के ऐसा कर के वह दीगर बुज़ुर्ग मरजे की तौहीन कर रहे है और मरजजैयत के खिलाफ उठ रही ताक़तों का सहारा बन रहे है!
दुश्मन हमपर दो रुख से वार कर रहा है! एक रुख तो यह के मरजईयत और इज्तेहाद का सिरे से इंकार कर देना और दूसरा रुख यह के अपने मन पसंद मरजे के अलावा दूसरे मरजे को यह हक़ न देना के वह अपनी तस्नीफ़ात और अपने इज्तेहाद को सामने लाके रक्खे! एक तो यह के हम मरजईयत को मानते नहीं और दूसरा यह के हम मरजईयत को मानते है लेकिन किसी दूसरे मरजे को हक़ नहीं देंगे!
दौर ऐ हाज़िर में दुश्मन यह समझ चूका है के अखबारियात का पर्दा फाश होगया है इसी वजह से दुश्मन बड़ी ही चालाकी के साथ एक मरजे को अपना फेवरेट बना के दूसरे मरजे की तौहीन कर रहा है! यह अक्सर देखने को मिलता है के अयातुल्ला ख़ामेनई के सप्पोर्टर इराकी मरजे की तौहीन करते हैं और सिर्फ और सिर्फ अयातुल्ला ख़ामेनई का डंका बजाते है! मई खुद इस बात से इत्तेफ़ाक़ रखता हु के यह लोग खुद अयातुल्ला ख़ामेनई के साथ ज़ुल्म कर रहे है!
एक मरजा को अपनी जिन्दागी उसूलियत की दिफ़ा में लगा देता है और बाबे इज्तेहाद तक पहुँचता है वह मरजा कैसे कभी दूसरे अन्य वाले मरजे को इज्तेहाद और रिसर्च से रोक सकता है?? यक़ीनन यह दुश्मन की साज़िश है के शियत की सबसे बड़ी ताक़त को तोड़ दो शिया खुद बा खुद बिखर जायेगे!
इज्तेहाद और हुस्न ए इज्तेहाद तोह यह है के हर मरजे अपने पीछे आने वाले मरजे को कभी यह नहीं कहता के फला मौज़ू पर सिर्फ मेरी तहक़ीक़ ही हुज्जत है और मैं दुसरो को तहक़ीक़ का हक़ नहीं दूंगा ! बल्कि इसके बर खिलाफ हर बुज़ुर्ग मरजे अपने पीछे आने वाले मरजे को उसकी तहक़ीक़ का हक़ देता!!
मसलन अगर अयातुल्ला सिस्तानी को देखा जाये तो वह खुद तमाम एहतेराम के बावजूद अपने उस्ताद अयातुल्ला खुई से कई मौज़ूआत पर इख़्तेलाफ़ रखते है! इसी तरह अयातुल्ला खुई अपने उस्ताद अयातुल्ला हकीम से कई मौज़ुआत पर इख़्तेलाफ़ रखते थे!! अयातुल्ला हकीम तमाम एहतेराम के बावजूद अपने उस्ताद अयातुल्ला बुरुजर्दी से कई मौज़ूआत पर इख़्तेलाफ़ रखते थे!
 अब यह कह देना के सिर्फ अयातुल्ला ख़ामेनई ही वाली ए फ़क़ीह है यह बिलकुल ग़लत होगा!
बा क़ौल ए फतवा अयातुल्लाह सिस्तानी : हर मुजतहिद ऐ जमे यश शरए वाली ए फ़क़ीह है और अपने मुक़ल्लिद पर विलायत रखता है! तो अगर मौलाना सैफ अब्बास ने रहबर ए मोअज़्ज़म को अपना वाली ए फ़क़ीह मैंने से इंकार कर दिया तो इसका मतलब यह नहीं के मौलाना सैफ अब्बास मरजईयत और इज्तेहाद के दुश्मन है बल्कि वह खुद अयातुल्ला सिस्तानी के उस फतवे पर अमल कर रहे है जिस फतवे के हिसाब से हर मुजतहिद ऐ जमे यश शरए वाली ए फ़क़ीह होता है लेहाज़ा मौलाना सैफ अब्बास के लिए उनका मुक़ल्लद ही उनके लिए वाली ए फ़क़ीह है!
मोमेनीन से दरक़्वास्त है के दुश्मनो से मह्फूर रहे और मरजईयत पे यक़ीन रक्खे!
Source- https://worldnewsnetworkindia.wordpress.com

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