ज़्यारत के क़ुबूल होने की निशानी


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मर्जे मुस्लेमीन वा शि आने जहाँ फक़ीहे आहलेबेते ईस्मतौ तहारत आय्तुल्लाह अल उज़मा शेख बशीर हुसैन नजफी साहब ने अपने मरकज़ी दफ्तर नजफे अशरफ मे नासरिया राज्य से अऐ हुऐ ऐक ग्रुप से बात करते हुऐ फरमाया कि अल्लाह सुब्हानहु के हुक्म जो हमें (सक़लेन) क़ुरआन व अहलेबेत (अ) के ज़रीऐ हम तक पहुँचे हैं इन से तमस्सुक इख़्तियार करके ही खुदा की मरज़ी को हासिल किया जा सकता है

मर्जे मुस्लेमीन वा शि आने जहाँ फक़ीहे आहलेबेते ईस्मतौ तहारत आय्तुल्लाह अल उज़मा शेख बशीर हुसैन नजफी साहब ने फरमाया मोमेनिन पर लाज़िम है के सिरते अहलैबेत (अ) मे अपने आप को ढाल कर ऐसा दिनी समाज वजूद मे लाऐं जो दीन के साँचे मे पूरी तरह ढल कर सिफाते हमीदा मे मुज़्य्यन हो जाऐ 


मर्जे मुस्लेमीन वा शि आने जहाँ फक़ीहे आहलेबेते ईस्मतौ तहारत आय्तुल्लाह अल उज़मा शेख बशीर हुसैन नजफी साहब ने ताकिद फरमाई के ज़ायरीन के लिऐ मक़ामाते मुक़द्दसा और आत्बाते आलिया की ज़्यारत इस शक्स के अन्दर बेहतर से बेहतर कि तरफ तग़य्युर व तब्दीली का ज़रया क़रार पाऐ ताके बाद मे ये ही मुस्बत तब्दीली पूरे समाज मे तब्दीली का वास्ता क़रार पाऐ और मक़ामाते मुक़द्दसा व आत्बाते आलिया की खुबूलयत की निशानी यह ही इजाबी तग़य्युर व तब्दीली , गुनाहों और बुराईयों को हमेशा के लिऐ छोडना है


Source- https://www.facebook.com/thenajafi/photos/a.322492714592174.1073741830.318777764963669/926607224180717/?type=3&theater

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